जिस दिल के अँधेरों में उजाला नहीं गया
उस से तो मेरा प्यार सँभाला नहीं गया
धोया तो कई बार मसल कर के ख़ूब पर
आँखों से तेरे चेहरे का जाला नहीं गया
क़ोशिश तो बहुत की कि निकालूँ मैं खींच खाँच
पर दिल से तेरा प्यार निकाला नहीं गया
तूने तो मुझे गिफ़्ट में बदनामियाँ ही दीं
पर मुझसे तेरा नाम उछाला नहीं गया
साक़ी तू रहा जाने रिझाता किसे किसे
इस जाम में तो बूँद भी डाला नहीं गया
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