मिरी जां इतना भी हमें सताया तो न कीजिए
करीब आ के दूर हम से जाया तो न कीजिए
हज़ार पहरे है मिरी हयात और इश्क़ पर
सो आप यूँ बे-वक़्त मिलने आया तो न कीजिए
न हो सकोगे आप ज़िन्दगी कभी मिरी सनम
अगर ये सच भी है मुझे बताया तो न कीजिए
ये जानती हूँ इश्क़ है तुम्हे, तो मेरी ज़ुल्फ को
यूँ महफिलों में चहरे से हटाया तो न कीजिए
हमारी जान सीने से सनम निकल ही जाती है
नज़र मिला के हम से फिर चुराया तो न कीजिए
सवाल इश्क़ के करूँ जवाब दे दिया करें
इधर उधर की बातें तब बनाया तो न कीजिए
चले ही जाना है अगर मुझे अकेला छोड़कर
तो कम से कम ये इश्क़ अपना ज़ाया तो न कीजिए
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