मेरी ज़िंदगी में सब कुछ, है मगर ख़ुशी नहीं है
ये है तल्ख़ इक हक़ीक़त, कोई शायरी नहीं है
भले कह दिया है उस से, मुझे इश्क़ है तुम्हीं से
हाँ मेरी तरफ़ वो लेकिन, अभी देखती नहीं है
हुआ क़ैद इश्क़ में जब, तो समझ में मेरी आया
जुदा हो के तुमसे मेरी, कोई ज़िंदगी नहीं है
जिसे चाहता हूँ हर दिन, जिसे पूजता हूँ हर दिन
मेरे ख़्वाब की वो लड़की, अभी तक मिली नहीं है
ये जो मेरी ज़िंदगी है, ये तुम्हारी है अमानत
ये जो मेरी ज़िंदगी है, मेरी ज़िंदगी नहीं है
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