ज़ख़्म खाए हुए पुराने ,पर
लौट आए मगर बुलाने पर
वो भटकती बग़ैर यादों के
है ख़ुशी आ गई ठिकाने पर
लौट चलते मगर कहाँ जाएँ
याद जाती नहीं भुलाने पर
कोशिशें रायगाँ हुईं मेरी
तुम नहीं आ सकी बुलाने पर
नौकरी कर रहे दिनों दिन हम
जल गए लोग मुस्कुराने पर
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