उसे मैंने कभी भी आँख से ओझल नहीं देखा
कि जिसमें वो नहीं थी ऐसा कोई पल नहीं देखा
वो सपने में जो आती है तो हँसतामुस्कुराता हूँ
किसी ने प्यार में मुझसा कोई पागल नहीं देखा
यहाँ सब पा लिया लेकिन मुझे इस बात का दुख है
मिरे माँ बाप ने मुझको कभी अव्वल नहीं देखा
As you were reading Shayari by Ajay Choubey
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