तुझे हर बात दिल की अब सुनाना चाहता हूँ मैं
बनाकर शायरी इक गुनगुनाना चाहता हूँ मैं
हज़ारों ख़्वाहिशें हैं यार मेरी भी मुहब्बत में
कभी आ पास मेरे सब बताना चाहता हूँ मैं
नहीं लगता ये दिल तेरे बिना है यार मेरा भी
तभी तो पास आने का बहाना चाहता हूँ मैं
करूँगा लाख कोशिश फिर तुझे तो मैं मनाने की
किसी भी हाल में तुझको मनाना चाहता हूँ मैं
सभी बातें भुलाकर तू कभी आए मिले मुझसे
तुझे फिर ज़िंदगी अपनी बनाना चाहता हूँ मैं
ख़ुदा मेरे मिला दे अब मुहब्बत से मेरी मुझको
गले इक बार उसको फिर लगाना चाहता हूँ मैं
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