उदासी से निकालो पीर खींचो
कलेजा फट रहा है तीर खींचो
ग़लत पटरी पे गाड़ी चल रही है
ख़ुदा के वास्ते ज़ंजीर खींचो
मुक़ाबिल में कोई ज़ालिम खड़ा है
मयानों से मियाँ शमशीर खींचो
भरोसा द्रौपदी को कृष्ण पर था
दुशासन कह रहा था चीर खींचो
अजूबे से ज़रा भी कम नहीं हूँ
मुझे देखो मिरी तस्वीर खींचो
हैं मुझमें अनगिनत अल्फ़ाज़ 'अशरफ़'
मुझे लिक्खो मिरी तहरीर खींचो
As you were reading Shayari by Ashraf Ali
our suggestion based on Ashraf Ali
As you were reading undefined Shayari