उसे जब देखना हो जा के छत पर देख लेता हूँ
अगर वो देर से आए तो रुक कर देख लेता हूँ
नहीं दिखता मुझे था कुछ वो जब तक साथ था मेरे
जो अब वो जा चुका है तो मैं बेहतर देख लेता हूँ
मुझे यूँ तो भरोसा है नहीं अब बात पर तेरी
मगर दिल ने कहा इक बार सुनकर देख लेता हूँ
सुकूँ पाने को मेरे पास यूं तो कुछ नहीं लेकिन
तुम्हारी है जो इक तस्वीर अक्सर देख लेता हूँ
बहुत कुछ याद आता है मुझे फ़िर देख कर उसको
नहीं मैं चैन से रहता जो पत्थर देख लेता हूँ
तुम्हारे पैर की पायल की जो आवाज़ मैं सुन लूँ
रहा मुझसे नहीं जाता मैं बाहर देख लेता हूँ
वहाँ वो सोचता है ये नहीं मालूम कुछ मुझको
यहाँ मैं दूर से हाथों में खंजर देख लेता हूँ
तुम्हारे नाम जो नज़्में तुम्हारी दी हुई चीज़ें
तुम्हारी याद आए तो घड़ी भर देख लेता हूँ
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