muhabbat mein mujhe har jhooth bhi sachcha lagega
use kuchh din mera kah do mujhe achha lagega
saleeqe se marammat kii hai maine dil kii ab tak
ye toota dil kisi ko ab nahin bikhra lagega
hua jo saamna usse kabhi to pooch loongi
koii cheene tumhaari rooh to kaisa lagega
dar-o-deewar par jaise use likkha hai maine
koii padhne lage to usko bhi sadma lagega
zamaane mein muhabbat kii kahaani khatm hote
koii tanhaa lagega ya koii mujh sa lagega
samundar mein dhakelega use jab apna koii
use phir dekhna paani mera chehra lagega
मुहब्बत में मुझे हर झूठ भी सच्चा लगेगा
उसे कुछ दिन मेरा कह दो मुझे अच्छा लगेगा
सलीक़े से मरम्मत की है मैंने दिल की अब तक
ये टूटा दिल किसी को अब नहीं बिखरा लगेगा
हुआ जो सामना उससे कभी तो पूछ लूँगी
कोई छीने तुम्हारी रूह तो कैसा लगेगा
दर-ओ-दीवार पर जैसे उसे लिक्खा है मैंने
कोई पढ़ने लगे तो उसको भी सदमा लगेगा
ज़माने में मुहब्बत की कहानी ख़त्म होते
कोई तन्हा लगेगा या कोई मुझ सा लगेगा
समुंदर में धकेलेगा उसे जब अपना कोई
उसे फिर देखना पानी मेरा चेहरा लगेगा
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