ग़मज़दा हूँ ज़रा दवा भेजो
वर्ना यारब मुझे बुला भेजो
की दुआ माँ से उस जहाँ से मुझे
अपने जैसा कोई ख़ुदा भेजो
ख़त लिखा और इल्तिज़ा ये की
दर्द भेजो तो अलहदा भेजो
फिर नए सब्ज़ो-बाग़ ही लिखकर
मुझको जीने का आसरा भेजो
सुर्ख़ मौसम जला न दे यारब
फूल , ख़ुश्बू नई हवा भेजो
ख़त लबों से ज़रा- ज़रा छूकर
एक लम्हा ही ख़ुशनुमा भेजो
ऐब मेरे 'धरम' नज़र आएँ
मुझको ऐसा इक आईना भेजो
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