हाँ दूल्हे को भी था शृंगार का दुख
ये औरत का तो है हर बार का दुख
नहीं रुकती कभी इच्छा की यात्रा
ये बाइक बाद आता कार का दुख
बताएँगे सभी क्या थी कमी पर
खिलाड़ी जानता है हार का दुख
फ़साना लगता है आसान जिनको
पड़ेगा झेलना इनकार का दुख
फ़क़त इज़हार करना है तुम्हें यार
उन्हें है झेलना इक़रार का दुख
दिया हम सबको था सालों से ही बाँट
मज़े है फिर भी है सरकार का दुख
अभी ये हाल है जो मीडिया का
कभी होता था वो अख़बार का दुख
निकालों तुम कमी हर दिन हमारी
रखो मत पास मैं के भार का दुख
तेरी बातें कहाँ समझे 'धरम' लोग
नया होता नए फ़नकार का दुख
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