इशारा आख़िरी मुझको समझना चाहिए था
मोहब्बत में उसे मेरा सहारा चाहिए था
न समझा मैं इशारा कोई भी उसका मगर यार
खड़ी थी सामने कोई इशारा चाहिए था
ग़लत से दूर कर मुझको रखा था पास उसने
कहो मत हो गई ग़लती सँभलना चाहिए था
अकेले ही गुज़रनी ज़िंदगी मुश्किल हमारी
हमें ख़ुद का ख़ुदी को ही सहारा चाहिए था
मिलेगा तो उसे वापस न जाने देंगे इस बार
हमें यारों कोई अपना हमारा चाहिए था
कहा तक तैरना मझधार पर माँ-बाप को यार
उन्हें भी वक़्त आने पर किनारा चाहिए था
ख़ुशी के मारे लोगों में नहीं थी ख़ासियत ये
ख़ुशी के साथ ग़म को रख निभाना चाहिए था
Read Full