यूँ चुप न रह ज़रा मिरे ख़याल पर ख़याल कर
जवाब पे जवाब दे सवाल पर सवाल कर
उठूँ या फिर नहीं उठूँ मैं कश्मकश मेें डालकर
चला गया है वो कहीं मुझे क़रीं बिठालकर
तू ख़ुशनसीब है तुझे मिले हैं यार रंज-ओ-ग़म
ख़ुदा का शुक्र कर अदा शराब पी मलाल कर
तमाम रात जागते रहे दिल-ओ-दिमाग़ फिर
मुझे कही थी उसने बात यूँ हर इक सँभाल कर
तू दुश्मनों के साथ रह हाँ! उनसे पर गुरेज़ कर
खड़े हैं साथ जो तिरे गले में हाथ डाल कर
मुझे भी तो बता तिरा है कौन आसमान में
जो तू गुहर लगा रहा है हाथ को उछाल कर
वो माहिर-ए-ता'लीम हैं उन्हें फ़क़त लगी ग़ज़ल
वगरना पेशे यार कर दिया था दिल निकाल कर
Read Full