तू जो आ जाता तुझे हम भी निहारा करते

  - Rahman Vaahid

तू जो आ जाता तुझे हम भी निहारा करते
हम तेरी आँख में दुनिया का नज़ारा करते

इस तरह हिज्र में जीने का सहारा करते
हम तसव्वुर में तेरी जुल्फ़ सँवारा करते

हम भी हो जाते मुक़द्दर के सिकंदर यारो
उनके टुकड़ों पे अगर हम भी गुज़ारा करते

उनके कूचे की जो मिल जाती गदाई हमको
हम भी पलकों से दर-ए-यार बहारा करते

साथ मिल जाता हमें तेरी वफ़ा का यूँ अगर
हम भी मँझधार में साहिल का नज़ारा करते

सामने होता जो फ़ुर्कत में तू मेरे दिलबर
तेरी तस्वीर को काग़ज़ पे उतारा करते

काश हमको भी ये ऐजाज़ जो होता हासिल
रू-ब-रू बैठके हम उनका नज़ारा करते

हमको हालात ने मजबूर किया है वरना
ज़िंदगी साथ में हम दोनों गुज़ारा करते

  - Rahman Vaahid

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