बात है धोके की ईजाद से पहले
बात है ताले की ईजाद से पहले
इक आवाज़ में दौड़े आते थे लोग
बात है जूते की ईजाद से पहले
मंदिर मस्जिद गिरजाघर होते थे
हर इक टीके की ईजाद से पहले
दूर रखे होंगे झीलों से पत्थर
तब आईने की ईजाद से पहले
लोग तजरबे से आगे तक आए
पढ़ने लिखने की ईजाद से पहले
तेज़ हवा का डेरा होगा जग में
उसके झुमके की ईजाद से पहले
मेरी ख़ामी पे चादर चढ़ती थी
तेरे क़िस्से की ईजाद से पहले
प्यार रहा होगा लोगों में कितना
सिक्के पैसे की ईजाद से पहले
अश्क छिपाना भी फ़न होता होगा
काले चश्मे की ईजाद से पहले
लोग लगाते होंगें अंदाज़े राज
तब दरवाज़े की ईजाद से पहले
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