क़हर इस दिल पे रोज़ ढाना था
फिर भी आँखों से मुस्कुराना था
एक पल को न मिल सका वो शख़्स
जिससे ताउम्र प्यार पाना था
अब ये क्या कर रहे हैं आप हुज़ूर
ग़म किसी को नहीं बताना था
मैं तेरे पास आ गया हूँ दोस्त
मुझको दुनिया से दूर जाना था
मैं तो क्या सोच कर यहाँ आया
तुमको बस हाथ ही मिलाना था
उसकी तस्वीर से जलाया दिल
जिसकी तस्वीर को जलाना था
बस मुझे ये बता दो यार तुम्हें
याद करना था या भुलाना था
इश्क़ करता हूँ जिस से उसके लिए
गीत साहिर का गुनगुनाना था
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