चेहरे से वो कफ़न को हटाएँगे रोएँगे
तुर्बत पे मेरी फूल चढ़ाएँगे रोएँगे
वो जो बिछड़ते वक़्त गले से नहीं लगे
तस्वीर को गले से लगाएँगे रोएँगे
आँगन में घर के फ़र्श अज़ा का बिछा के हम
कसरत से आज शोर मचाएँगे रोएँगे
जो ख़स्ता हाल देख के हँसते हैं देखना
ये सब हमारा सोग मनाएँगे रोएँगे
ऐ शख़्स तुझको अपना बनाने के वास्ते
चौखट पे रब की सर को झुकाएँगे रोएँगे
तन्हा न रोएँगे शब-ए-फ़ुर्क़त में बैठकर
हम अपने साथ सबको रुलाएँगे रोएँगे
तुम देख लेना तुमसे बिछड़ने के बाद हम
रूठेंगे ख़ुद से ख़ुद को मनाएँगे रोएँगे
वो हमको रोते देख के हमराह रोएगा
इस वास्ते चराग़ बुझाएँगे रोएँगे
तेरा दयार छोड़ के अब मिस्ल-ए-क़ैस हम
दश्त-ए-जुनूँ की ख़ाक उड़ाएँगे रोएँगे
इन दुश्मनों को अच्छी तरह जानता हूँ मैं
ख़ंजर मिरे गले पे चलाएँगे रोएँगे
ऐ तिश्ना-लब इमाम सदा तेरी याद में
तिश्ना-लबों को आब पिलाएँगे रोएँगे
सब कम-नसीब इश्क़ के मारे हुए 'शजर'
बच्चों को मेरे शेर सुनाएँगे रोएँगे
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