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कभी जो शाम को दरिया के पास बैठा करो तो मत ये ओढ़ के ग़म का लिबास बैठा करो उदास देख के मंज़र उदास होते हैं ख़ुदा के वास्ते तुम मत उदास बैठा करो
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