इस बार ये कहना नहीं
उसका ये नक़्श-ए-पा नहीं
वो इश्क़ का मारा नहीं
जो रात में जागा नहीं
चल छोड़ चाहत उस की दिल
वो बा ख़ुदा अच्छा नहीं
है ग़म हमें इस बात का
उस ने हमें देखा नहीं
इस दो जहाँ में बा ख़ुदा
कोई सनम तुझ सा नहीं
जो सोचता हूँ मैं सदा
वो तो कभी होता नहीं
सीने में दिल रोया बहुत
पर मैं कभी रोया नहीं
हाँ हमने वो सब सुन लिया
जो आपने बोला नहीं
वो गुल बड़ा है ख़ुश नसब
जो शाख़ से टूटा नहीं
सब प्यास से तड़पा किए
बादल मगर बरसा नहीं
मैं इस उदासी का शजर
मतलब कभी समझा नहीं
छोटा सा शायर हूँ शजर
मैं मीर या मिर्ज़ा नहीं
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