दिल उसका हर घड़ी यारों चमन में लगता था
वो फूल जैसी थी तो तितलियों से रिश्ता था
थीं आँखें शरबती क़द उसका थोड़ा छोटा था
गुलाबी रंग था और शीरीं दार लहजा था
सियाह जुल्फें थी काली घटाओं के जैसी
फ़लक के चाँद नुमा मुर्शिद उसका चेहरा था
लब उसके लगते थे दो प्यारी तितलियों की तरह
लबों पे उसके तबस्सुम हमेशा रहता था
वो अपना सर मेरे पहलू में ला के रखती थी
मैं उसकी रेशमी ज़ुल्फें सँवारा करता था
उसे किताबों से बे-इन्तिहा मोहब्बत थी
किताब ख़ाने में उसको क़रार मिलता था
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