गुलसिताँ में शजर आबाद नहीं होने दिया
उसने ताइर कोई आज़ाद नहीं होने दिया
इश्क़ में टूट के बर्बाद नहीं होने दिया
मैंने ख़ुद को कभी फ़रहाद नहीं होने दिया
हमसे कतरे न गए पर किसी पंछी के कभी
हमको दिल-सोज़ी ने सय्याद नहीं होने दिया
छीन लें क्यों किसी उस्ताद से हम उसका मक़ाम
बस इसी फ़िक्र ने उस्ताद नहीं होने दिया
हमने ता-उम्र रखा अपने बुज़ुर्गों का भरम
क़ल्ब को हुस्न का मोताद नहीं होने दिया
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