Top 45+

Diwali Shayari

Here is a curated collection of Diwali shayari in Hindi. You can download HD images of all the Diwali shayari on this page. These Diwali Shayari images can also be used as Instagram posts and whatsapp statuses. Start reading now and enjoy.

"दिवाली"

मिरी सांसों को गीत और आत्मा को साज़ देती है
ये दिवाली है सब को जीने का अंदाज़ देती है
हृदय के द्वार पर रह रह के देता है कोई दस्तक
बराबर ज़िंदगी आवाज़ पर आवाज़ देती है

सिमटता है अंधेरा पांव फैलाती है दिवाली
हंसाए जाती है रजनी हँसे जाती है दिवाली

क़तारें देखता हूँ चलते-फिरते माह-पारों की
घटाएँ आँचलों की और बरखा है सितारों की
वो काले काले गेसू सुर्ख़ होंट और फूल से आरिज़
नगर में हर तरफ़ परियाँ टहलती हैं बहारों की

निगाहों का मुक़द्दर आ के चमकाती है दिवाली
पहन कर दीप-माला नाज़ फ़रमाती है दिवाली

उजाले का ज़माना है उजाले की जवानी है
ये हँसती जगमगाती रात सब रातों की रानी है
वही दुनिया है लेकिन हुस्न देखो आज दुनिया का
है जब तक रात बाक़ी कह नहीं सकते कि फ़ानी है

वो जीवन आज की रात आ के बरसाती है दिवाली
पसीना मौत के माथे पे छलकाती है दिवाली

सभी के दीप सुंदर हैं हमारे क्या तुम्हारे क्या
उजाला हर तरफ़ है इस किनारे उस किनारे क्या
गगन की जगमगाहट पड़ गई है आज मद्धम क्यूँ
मुंडेरों और छज्जों पर उतर आए हैं तारे क्या

हज़ारों साल गुज़रे फिर भी जब आती है दिवाली
महल हो चाहे कुटिया सब पे छा जाती है दिवाली

इसी दिन द्रौपदी ने कृष्ण को भाई बनाया था
वचन के देने वाले ने वचन अपना निभाया था
जनम दिन लक्ष्मी का है भला इस दिन का क्या कहना
यही वो दिन है जिस ने राम को राजा बनाया था

कई इतिहास को एक साथ दोहराती है दिवाली
मोहब्बत पर विजय के फूल बरसाती है दिवाली

गले में हार फूलों का चरण में दीप-मालाएँ
मुकुट सर पर है मुख पर ज़िंदगी की रूप-रेखाएँ
लिए हैं कर में मंगल-घट न क्यूँ घट घट पे छा जाएँ
अगर परतव पड़े मुर्दा-दिलों पर वो भी जी जाएँ

अजब अंदाज़ से रह रह के मस़्काती है दिवाली
मोहब्बत की लहर नस नस में दौड़ाती है दिवाली

तुम्हारा हूँ तुम अपनी बात मुझ से क्यूँ छुपाते हो
मुझे मालूम है जिस के लिए चक्कर लगाते हो
बनारस के हो तुम को चाहिए त्यौहार घर करना
बुतों को छोड़ कर तुम क्यूँ इलाहाबाद जाते हो

न जाओ ऐसे में बाहर 'नज़ीर' आती है दिवाली
ये काशी है यहीं तो रंग दिखलाती है दिवाली
Read Full
Nazeer Banarasi
3 Likes
"हर इक मकाँ में जला फिर दिया दिवाली का"

हर इक मकाँ में जला फिर दिया दिवाली का
हर इक तरफ़ को उजाला हुआ दिवाली का
सभी के दिल में समाँ भा गया दिवाली का
किसी के दिल को मज़ा ख़ुश लगा दीवाली का
अजब बहार का है दिन बना दिवाली का

जहाँ में यारो अजब तरह का है ये त्यौहार
किसी ने नक़्द लिया और कोई करे है उधार
खिलौने खेलों बताशों का गर्म है बाज़ार
हर इक दुकाँ में चराग़ों की हो रही है बहार
सभों को फ़िक्र है अब जा-ब-जा दिवाली का

मिठाइयों की दुकानें लगा के हलवाई
पुकारते हैं कि ''ला ला! दिवाली है आई''
बताशे ले कोई बर्फ़ी किसी ने तुलवाई
खिलौने वालों की इन से ज़ियादा बिन आई
गोया उन्हों के वाँ राज आ गया दिवाली का

सिरफ़ हराम की कौड़ी का जिन का है बेवपार
उन्हों ने खाया है इस दिन के वास्ते है उधार
कहे है हँस के क़रज़-ख़्वाह से हर इक इक बार
दिवाली आई है सब दे दिलाएँगे ऐ यार
ख़ुदा के फ़ज़्ल से है आसरा दिवाली का

मकान लेप के ठलिया जो कोरी रखवाई
जला चराग़ को कौड़ी वो जल्द झनकाई
असल जुआरी थे उन में तो जान सी आई
ख़ुशी से कूद उछल कर पुकारे ओ भाई
शुगून पहले करो तुम ज़रा दिवाली का

शगुन की बाज़ी लगी पहले यार गंडे की
फिर उस से बढ़ के लगी तीन चार गंडे की
फिरी जो ऐसी तरह बार बार गंडे की
तो आगे लगने लगी फिर हज़ार गंडे की
कमाल निर्ख़ है फिर तो लगा दिवाली का

किसी ने घर की हवेली गिरो रखा हारी
जो कुछ थी जिंस मयस्सर बना बना हारी
किसी ने चीज़ किसी किसी की चुरा छुपा हारी
किसी ने गठरी पड़ोसन की अपनी ला हारी
ये हार जीत का चर्चा पड़ा दिवाली का

किसी को दाव पे लानक्की मूठ ने मारा
किसी के घर पे धरा सोख़्ता ने अँगारा
किसी को नर्द ने चौपड़ के कर दिया ज़ारा
लंगोटी बाँध के बैठा इज़ार तक हारा
ये शोर आ के मचा जा-ब-जा दिवाली का

वो उस के झोंटे पकड़ कर कहे है मारुँगा
तिरा जो गहना है सब तार तार उतारूँगा
हवेली अपनी तो इक दाव पर मैं हारूँगा
ये सब तो हारा हूँ ख़ंदी तुझे भी हारूँगा
चढ़ा है मुझ को भी अब तो नशा दिवाली का

तुझे ख़बर नहीं ख़ंदी ये लत वो प्यारी है
किसी ज़माने में आगे हुआ जो ज्वारी है
तो उस ने जोरू की नथ और इज़ार उतारी है
इज़ार क्या है कि जोरू तलक भी हारी है
सुना ये तू ने नहीं माजरा दिवाली का

जहाँ में ये जो दीवाली की सैर होती है
तो ज़र से होती है और ज़र बग़ैर होती है
जो हारे उन पे ख़राबी की फ़ैर होती है
और उन में आन के जिन जिन की ख़ैर होती है
तो आड़े आता है उन के दिया दिवाली का

ये बातें सच हैं न झूट उन को जानियो यारो!
नसीहतें हैं उन्हें दिल से मानियो यारो!
जहाँ को जाओ ये क़िस्सा बखानियो यारो!
जो ज्वारी हो न बुरा उस का मानियो यारो
'नज़ीर' आप भी है ज्वारिया दीवाली का
Read Full
Nazeer Akbarabadi
2 Likes

LOAD MORE

How's your Mood?

Latest Blog