चंद पैसे क्या कमाने लग गए
लोग आलिम को पढ़ाने लग गए
जान जिनपे हम लुटाने लग गए
वो भी हमको ही मिटाने लग गए
वो हमेशा से जो मेरे पास था
उसको पाने में ज़माने लग गए
जिनके आँसू पोछे मैंने आँखों के
वो मुझे आँखें दिखाने लग गए
बाप का सर से जो साया क्या उठा
ग़म के साये हक़ जताने लग गए
रस्ता जिनको भी बताया मैंने वो
मुझको ही रस्ता दिखाने लग गए
ख़ुद को अब भी ढूँढ़ने में हूँ लगा
दोस्त सब मेरे कमाने लग गए
वो जो मेरे क़त्ल के साज़िश में थे
मुझ को देखा मुस्कुराने लग गए
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