फूलों पे पत्तियों पे शजर पर ग़ज़ल कहो
शबनम पे तितलियों पे समर पर ग़ज़ल कहो
तारों पे और शम्स-ओ-क़मर पर ग़ज़ल कहो
तुम रोज़-ओ-शब पे शाम-ओ-सहर पर ग़ज़ल कहो
जो तय किया है दिल ने सफ़र राह-ए-इश्क़ में
वाजिब है आप दिल के सफ़र पर ग़ज़ल कहो
दिल का नगर जो इश्क़ में बर्बाद हो गया
लिल्लाह उस उजाड़ नगर पर ग़ज़ल कहो
होंठों पे उसके चेहरे पे लब पर कहो ग़ज़ल
फिर उसके बाद बा रिदा सर पर ग़ज़ल कहो
مفعول فاعلات مفاعیل فاعلن
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