ये पहला काम रोज़-ए-क़यामत करेंगे हम
रब से तेरी जफ़ा की शिकायत करेंगे हम
जो ख़्वाब देखते हैं हक़ीक़त करेंगे हम
जी भर के आज दश्त में वहशत करेंगे हम
बाद-ए-फ़िराक़ दोस्तों हिम्मत करेंगे हम
उठ्ठेंगे और फिर से मुहब्बत करेंगे हम
आबाद मय-कदों को करेंगे जहान में
और मजलिस-ए-फ़िराक़ में शिरकत करेंगे हम
फ़रहाद वादा करते हैं तुमसे तुम्हारे बाद
इस बज़्म-ए-आशिक़ी की क़यादत करेंगे हम
होंगे निढाल ग़म से सब अहबाब-ओ-अक़रिबा
जिस रोज़ अपने गाँव से हिजरत करेंगे हम
अज्दाद की रिवायतें रक्खेंगे बर-क़रार
ख़ुश हो के नोश जाम-ए-शहादत करेंगे हम
भूखा न सोने देंगे यतीम-ओ-यसीर को
हाकिम बने तो ऐसी हुकूमत करेंगे हम
लैला को दो तसल्ली के हर हाल में शजर
लैला तुम्हारे क़ैस की नुसरत करेंगे हम
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