यार मोहब्बत में कैसे कैसे सदमें सहते हैं
इन आँखों से तेरी यादों के चश्में बहते हैं
रोजाना इन से एक जंग करता रहता हूँ मैं
अब तेरी यादों के वो लश्कर लड़ते रहते हैं
साथ मोहब्बत में वो जन्नत तक जानें की कसमें
वो इश्क़ में न जानें क्यूँ ऐसी बातें कहते हैं
हम हैं जो उनकी राह में खड़े हैं अब तक लेकिन
उनको जब जाना हो तो वो जा कर के रहते हैं
देखो तुम पीछा कब तलक छुटा पाओगी हमसे
अब तेरे बच्चे मेरी लिक्खी गजलें कहते हैं
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