तिरी आँखें, तिरी बातें,तिरे लब से मोहब्बत है
तिरी ज़ुल्फ़े तिरी साँसें मुझे सब से मोहब्बत है
कभी जो साथ देखे थे सितारे रात में तुम ने
मुझे तो उस सियाही रात से तब से मोहब्बत है
न जाने कब कहूँगा में मुझे तुम से मोहब्बत है
कि जब से साथ पढ़ती हो मुझे तब से मोहब्बत है
कहीं वो जा रही है हम जुदा भी हो रहे हैं पर
नहीं अब भी कहा मैने मुझे कब से मोहब्बत है
सभी से कह रहा हूँ मैं मुझे तुझ से रफा़क़त है
मगर मेरे इलावा ही तुझे सब से मोहब्बत है
तिरे ही बाद मेरा हाल ऐसा हो गया है अब
कि कहता फिर रहा हूँ मैं मुझे कब से मोहब्बत है
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