सब मिलने वालों में इक ऐसा भी मिलने वाला था, - Abhas Nalwaya Darpan

सब मिलने वालों में इक ऐसा भी मिलने वाला था,
जो मुझको कुछ और ज़ियादा तन्हा करके जाता था

दु:ख भी ऐसा ज़ाती दु:ख के कोई और न था शामिल,
दुश्मन भी ऐसा दुश्मन के मेरा ख़ुद का साया था,

धुंध अगर छटती भी थी तो आँख ज़रा सी खुलती थी,
कैसे कह दूं मैंने जिसको देखा उसको देखा था

उसको हिम्मत देने वाले ख़ुद हो जाते थे मायूस,
इतना अफ़सुर्दा चेहरा था देख के रोना आता था

लानत.. लानत.. लानत है हम ऐसे ज़िद्दी लोगों पर,
जग ज़ाहिर था इश्क़ बला है फिर भी हमको करना था

'दर्पन' उन आंखों में अब इक दहशत कायम रहती है ,
जिन आँखों में जीने का इक जज़्बा कायम रहता था

- Abhas Nalwaya Darpan
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