सुनते ही रोने लगती है सर रखकर वो शाने पर, - Abhas Nalwaya Darpan

सुनते ही रोने लगती है सर रखकर वो शाने पर,
लानत है और भर भर के लानत है ऐसे गाने पर..

चलते फिरते देख लिया था एक हसीना को उसने,
मत पूछो इसके आगे क्या गुज़री उस दीवाने पर

दिल में रहकर दिल को ही दुःख देते हैं,ग़म देते हैं
रोक लगाओ ऐसे मेहमानों के आने जाने पर..

कमतर जाम उतरता है बोतल में भी आँखों में भी,
किस ज़ालिम की नज़र पड़ी है अबके इस मयख़ाने पर

शश..शश.. चुप हो जाओ ये गूंगे-बहरों की महफ़िल है,
गला दबोचा जाएगा इस महफ़िल में चिल्लाने पर ..

जाने कितने खाने वालों के हक़ का खाता है वो,
किस खाने वाले का नाम लिखा है दाने दाने पर?

'दर्पन' इन रस्तों से वापिस भी आना पड़ सकता है,
भूल न जाना तुम इन रस्तों को मंज़िल के आने पर ..

❤️🌻

- Abhas Nalwaya Darpan
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