दिन होता है सबका अपना दिन होता है,
ऐसा दिन जब जो चाहो मुमकिन होता है
जैसे-तैसे आख़िर में वो हाँ कहती है
लेकिन उसकी हाँ में भी 'लेकिन' होता है
चाहे जितना वहशत का माहौल बना लो,
फूल मग़र क़ुदरत से ही कमसिन होता है
अव्वल इश्क़ का होना ही होता है मुश्किल,
उसपर इश्क़ निभाना और कठिन होता है
इसके आगे हिज्र नहीं समझा सकता मैं -
"एक मसाइल है जो तेरे बिन होता है
दर्पन धूप बिखर जाती है चारों सम्त,
लेकिन साया.. साया है साकिन होता है
As you were reading Shayari by Abhas Nalwaya Darpan
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