आप पर ए'तिबार मुश्किल है - Faiz Ahmad

आप पर ए'तिबार मुश्किल है
इस लिए इंतिज़ार मुश्किल है

न पड़ो इस तरह के खेलों में
इश्क़ में रोज़गार मुश्किल है

ढूँढ़ना छोड़ दे जहांँ में तू
मेरे सा ग़म-गुसार मुश्किल है

जो मुझे देखा भी नहीं करती
उसे ? और मुझ से ? प्यार ? मुश्किल है

उसे मुझ से मिलाना तेरे लिए
क्या ये परवरदिगार मुश्किल है ?

मत कहा कर उसे भुलाने को
नहीं कर सकता यार मुश्किल है

तुझ से मिलना किसी की शादी में
ज़ालिमा अगली बार मुश्किल है

हो जहाँ बस हसीन चेहरे वहांँ
वफ़ा का कारोबार मुश्किल है

जो मोहब्बत में माँगता है वफ़ा
उस से कहना के यार मुश्किल है

- Faiz Ahmad
2 Likes

More by Faiz Ahmad

As you were reading Shayari by Faiz Ahmad

Similar Writers

our suggestion based on Faiz Ahmad

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari