क्या करेंगे जानकर क्या नाम, क्या पहचान है - Bhaskar Shukla

क्या करेंगे जानकर क्या नाम, क्या पहचान है
आप इतना जान लीजे वो हमारी जान है

एक ये उम्मीद हम फिर से कभी मिल जाएंगे
इस अँधेरी कोठरी में एक रौशनदान है

दोस्ती ग़म से करो जो उम्र भर का साथ दें
ये ख़ुशी दिल में तुम्हारे चार दिन मेहमान है

इश्क़ जैसी कोई बीमारी नहीं है आपको ?
आपकी ये ज़िन्दगी यानी बहुत आसान है

ग़म जहाँ भर के उतरकर फ़ैज़ पाते हैं यहाँ
भास्कर का दिल नहीं ये मीर का दीवान है

- Bhaskar Shukla
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