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Mazhab Shayari

Here is a curated collection of Mazhab shayari in Hindi. You can download HD images of all the Mazhab shayari on this page. These Mazhab Shayari images can also be used as Instagram posts and whatsapp statuses. Start reading now and enjoy.

लगा रक्खी है उसने भीड़ मज़हब की, सियासत की
मदारी है, भला समझेगा क्या क़ीमत मुहब्बत की

महल तो सबने देखा, नींव का पत्थर नहीं देखा
टिकी है ज़िंदगी जिस पर भरी-पूरी इमारत की

अजब इंसाफ़ है, मजबूर को मग़रूर कहते हो
चढ़ा रक्खी हैं तुमने ऐनकें आँखों पे नफ़रत की

हम अपनी आस्तीनों से ही आँखें पोंछ लेते हैं
हमारे आँसुओं ने कब किसी दामन की चाहत की

हमारे साथ हैं महकी हुई यादों के कुछ लश्कर
वो कुछ लमहे इबादत के, वो कुछ घड़ियाँ मुहब्बत की

वो चेहरे से ही मेरे दिल की हालत भाँप लेता है
ज़रूरत ही नहीं पड़ती कभी शिकवा-शिकायत की

डरी सहमी हुई सच्चाइयों के ज़र्द चेहरों पर
गवाही है सियासत की, इबारत है अदालत की

हैं अब तक याद हमको ‘नाज़’ वो बीती हुई घड़ियाँ
कभी तुमने शरारत की, कभी हमने शरारत की
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Krishna Kumar Naaz
सौदा-ए-इश्क़ यूं भी उतरना तो है नहीं
ये ज़ख़्म-ए-रूह है इसे भरना तो है नहीं

सौ बार आइना भी जो देखें तो फ़ाएदा
सूरत को ख़ुद-बख़ुद ही संवरना तो है नहीं

मुझ को ख़बर है दहर में ज़िंदा रहूंगा मैं
'बुल्ल्हे' की तरह मर के भी मरना तो है नहीं

जिस लहर को निगल गई इक लहर दूसरी
उस लहर को दोबारा उभरना तो है नहीं

तू जो यक़ीन कर ले कि वो है तो फिर वो है
शय का वजूद अस्ल में वर्ना तो है नहीं

धरनाई की तरह से जो धरना भी दूं तो क्या
धरती पे उस ने फिर भी उतरना तो है नहीं

करता हूं ख़ुद ही मबहस ओ तक़रीर से गुरेज़
तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ आप से करना तो है नहीं

वो जिस को अपने-आप से लगता नहीं है डर
उस को ख़ुदा की ज़ात से डरना तो है नहीं

क्यूं उस के इंतिज़ार में बैठा हूं देर से
इस रह-गुज़र से उस ने गुज़रना तो है नहीं

'साहिर' ये मेरा दीदा-ए-गिर्यां है और मैं
सहरा में कोई दूसरा झरना तो है नहीं
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Parvez Sahir

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