तिरे छोड़ जाने का सिलसिला नहीं जानता - Bhuwan Singh

तिरे छोड़ जाने का सिलसिला नहीं जानता
मैं इसीलिए कोई वाकि'आ नहीं जानता

मैं शराब पी के उसी की बाहों में जा गिरा
जो मिरे मकान का रास्ता नहीं जानता

मुझे रोता देखा है जिसने चौंक गया है अब
मैं सँवरता भी हूॅं ये आइना नहीं जानता

तुझे जिस्म दिख गया पर ये आँख नहीं दिखी
तू भी यार प्यार से देखना नहीं जानता

उसे क्या ही माँग रहे हो तुम गला फाड़कर
यहाँ ऐसा क्या है जो वो ख़ुदा नहीं जानता

कहाँ चल दिए अभी बात ख़त्म नहीं हुई
मैं जनाब आपका फ़ैसला नहीं जानता

वो कभी नहीं ले सकेगा ज़िंदगी का मज़ा
जो कि तेरे होंठ का ज़ाइका नहीं जानता

मैं ये जानता था तू मेरे हाल के बारे में
नहीं जानता नहीं जानता नहीं जानता

- Bhuwan Singh
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