वो ठान ले अगर तो ये सब कर भी सकता है - SAFEER RAY

वो ठान ले अगर तो ये सब कर भी सकता है
वो बेवजह ही ख़ामियों में ख़ुद की खोता है

वो जागता है पहरों कोई उस में सोता है
अक्सर ये उस की उम्र में ऐसा ही होता है

खोता रहा वो चश्म जो राहों को ताकते
पूछे ये उस से कौन जो राहों में रहता है

पागल ही है ये इस की दवा कौन क्या करे
ऐसा ही दर्द हर किसी मरहम को होता है

पुर कैफ़ियत के राज़ हैं जो बंद गोशे में
दुनिया में ठीक ठाक वो तन्हा में रोता है

कर दफ़्न फिर कफ़न को कोई कैसे फेंक दे
मर भी गया सफ़ीर तो मुश्कों में रहता है

- SAFEER RAY
13 Likes

More by SAFEER RAY

As you were reading Shayari by SAFEER RAY

Similar Writers

our suggestion based on SAFEER RAY

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari