तिरे साथ दिन जो गुज़ारे थे मुझे उन दिनों का मलाल है
कभी पूछ लेना मिलूँ मैं जब तिरे दिल में जो भी सवाल है
मिरे दोस्तों मिरी मान लो कभी औरतों को भी जान लो
ये न हों तो जीना मुहाल है ये हों भी तो जीना मुहाल है
कभी लब को चूम के भूलते कभी फाँसियों पे जा झूलते
ये जो बच गए हो दुआऍं दो मिरी शाइरी का कमाल है
मिरे मौला मुझको अता करें जो भी कुछ लिखा है नसीब में
मुझे चाहिए न हराम कुछ मुझे दे दो जो भी हलाल है
अभी कुछ दिनों की तो बात है तिरे साथ शामें बिताई थीं
मिरे कमरे में तिरे बाद अब तिरे इश्क़ का ही जमाल है
Read Full