tavajjoh do use jo de raha ehsaas kii sohbat
bashar dharmesh hai mere liye vishwas kii sohbat
hua hai yun kahn azaad social media par aaj
takalluf badtameezi hai chalan bakwaas kii sohbat
sabhi akbar bane baithe hain is duniya-e-faani mein
kahaan paoge tum ai yaar tulsidaas kii sohbat
tawazun kho chuka maahi qareeb usko na paakar ab
kise hogi mayassar uske baarah-maas kii sohbat
तवज्जोह दो उसे जो दे रहा एहसास की सोहबत
'बशर धर्मेश' है मेरे लिए विश्वास की सोहबत
हुआ है यूँ कहन आज़ाद सोशल मीडिया पर आज
तकल्लुफ़ बदतमीज़ी है चलन बकवास की सोहबत
सभी अकबर बने बैठे हैं इस दुनिया-ए-फ़ानी में
कहाँ पाओगे तुम ऐ यार तुलसीदास की सोहबत
तवाज़ुन खो चुका 'माही' क़रीब उसको न पाकर अब
किसे होगी मयस्सर उसके बारह-मास की सोहबत
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