इससे बढ़कर और क्या मुझको ख़ज़ाना चाहिए
बस तेरी ज़ुल्फ़ों में ख़ुद का आशियाना चाहिए
एक पिंजरे में गुजारे इतने दिन क्या कम है ये
अब तो इस पंछी को अंबर तोड़ जाना चाहिए
माँ गई उस दिन से मैं यूँ सोचता रहता हूँ बस
हो न हो उस रूह को फिर लौट आना चाहिए
बूढ़े बाशिंदों ने क्यों छोड़ा हमारे घर को यूँ
कुछ भी करके अब उन्हें हमने मनाना चाहिए
आपकी इस मेहरबानी को नहीं भूलेंगे हम
आपने इस दिल का रस्ता भूल जाना चाहिए
बस बुज़ुर्गों के ही क़दमों में है ज़न्नत सा सुकूँ
नित्य हर अखबार में इसको छपाना चाहिए
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