कहीं बेबस को देखेंगे तो ये खुशियाँ मनाएँगे
दलाल इस मरहले पर महज़ बस पैसा उगाहेंगे
बड़े कम्बख़्त हैं ज़ालिम नहीं बिल्कुल लजाएँगे
मिले मौक़ा अगर इंसाॅं को इंसाॅं नोच खाएँगे
ज़माने भर में माल-ओ-ज़र की ख़ातिर होड़ है केवल
कहीं इंसानियत ढूंढ़े नहीं अब आप पाएँगे
ज़रूरत आपकी पूरी करेंगे क्योंकि ये सब लोग
दलाली आपसे बेइंतिहा सारे ही खाएँगे
शिकस्त-ए-रंग इनके सामने हैं सारे फ़ाज़िल शख़्स
ये जाहिल उँगलियों पर सारी दुनिया को नचाएँगे
फ़क़त पैसा फ़क़त शोहरत ये शान-ओ-शौक़ वाले लोग
क़ज़ा के वक़्त भी क्या पैसा-पैसा गुनगुनाएँगे
बताना मत किसी को आपकी मजबूरियाॅं उपमन्यु
तुम्हारी बेबसी का लुत्फ़ ये मिलकर उठाऍंगे
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