फूल सा मुस्कुराना नहीं जानते
चाँद सा टिमटिमाना नहीं जानते
बे-वफ़ाओं से इनको वफ़ा चाहिए
भाई साहब ज़माना नहीं जानते
अब कि मिलना अगर तो ये कहना उन्हें
आप रिश्ते निभाना नहीं जानते
कैसे होगा जहाँ में तुम्हारा गुज़र
तुम तो बातें बनाना नहीं जानते
इश्क़ क्या ही निभाएगा कोई यहाँ
लोग रिश्ते निभाना नहीं जानते
देख भगवान दुनिया कहाँ आ गई
लोग खाना-कमाना नहीं जानते
आपसे दिल लगाए समय हो गया
आप अब तक हँसाना नहीं जानते
सीख लेते कोई एक हम भी हुनर
हम अगर दिल लगाना नहीं जानते
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