सर पकड़ कर ज़मीं पे बैठ गया - Shakir Dehlvi

सर पकड़ कर ज़मीं पे बैठ गया
फूल का दिल वहीं पे बैठ गया

सारे गुलशन को छोड़ कर भँवरा
इक लब-ए-नाज़नीं पे बैठ गया

कुछ सितारे ज़मीं पे रौशन थे
मैं भी जाकर वहीं पे बैठ गया

अच्छा ख़ासा उछलता कूदता दिल
आपकी इक नहीं पे बैठ गया

इक कबूतर ख़याल का तेरे
उड़ के आया जबीं पे बैठ गया

मुफ़्त में दे दिया मकान-ए-दिल
जब भरोसा मकीं पे बैठ गया

- Shakir Dehlvi
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