जिस दिन से आँखों ने उस को देखा है
एक उजाला मुझ को घेरे रहता है
इक सदमे से अब तक बाहर आई नइँ
इक मुद्दत से वक़्त अभी तक ठहरा है
दुनिया में रहने की ख़ातिर हम को दोस्त
दिल पर पत्थर रख कर हँसना होता है
शब-बेदारी दुश्वारी के आलम में
माँ ने मेरी घर का बोझ उठाया है
दुनिया देखी वक़्त बिताया जाने फिर
अन्दर से तो कितनों का दिल काला है
थोड़े दुख हैं मिल-जुल कर सह लेते हैं
ऐ दिल तेरे बारे में भी सोचा है
दर्द उदासी तन्हा-पन और ख़ामोशी
ये सब मेरे जीवन का सरमाया है
ख़ुद को ख़ुश रखना हम ख़ुश हो जाएंगे
यार हमारा दिल भी आप के जैसा है
कितने सुख तब्दील हुए हैं दुख में ! दोस्त
वक़्त को आते जाते हम ने देखा है
आगे बढ़ने की कोशिश नाकाम हुई
जाने किसने मुझ को शम्पा रोका है
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