रात भर आँख पानी-पानी थी - Shan Sharma

रात भर आँख पानी-पानी थी
अश्क़ थे इश्क़ की निशानी थी

तू था यकसर जहाँ मुझे हासिल
यार दिलकश बहुत कहानी थी

दूर हैं हम तो पड़ गई नीली
साथ थे शाम ज़ाफ़रानी थी

नाम वैसे ग़ुलाम मेरा था
शाह की पर ग़ुलाम रानी थी

ज़ुल्फ़ उसकी तराश देता था
मेरी ख़ातिर ये बाग़वानी थी

सब नए ख़त जला दिए मैंने
बात उनमें वही पुरानी थी

वस्ल के दौर जो थी आँखों में
'शान' वो बूँद शादमानी थी

- Shan Sharma
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