वही अंदेशा है पैहम कभी पहले वाला - Swarnim Aditya

वही अंदेशा है पैहम कभी पहले वाला
वो मेरा हो के भी मेरा नहीं होने वाला

मैं अज़ल से कहीं भी टिक नहीं पाया हूँ और
इश्क़ में भी मैं मुसलसल नहीं रहने वाला

मेरी आँखों से घुटन भी नहीं जाने वाली
उसकी भी आँखों का काजल नहीं बहने वाला

ज़िंदगी में जो भी होना है वो तो होना ही है
वो नहीं मुझ से मैं उस से नहीं बचने वाला

और कुछ भी नहीं है ज़िंदगी में मेरा वजूद
फूल हूँ मैं तेरी आवाज़ पे खिलने वाला

क्या करूँ ज़िन्दगी की स्क्रिप्ट नहीं जँचती तो
अब मैं क़िरदार कुशी तो नहीं करने वाला

हाँ नहीं लगता हूँ चेहरे से मगर ख़ुश हूँ मैं
वो मगर कुछ नहीं तुमसे नहीं कहने वाला

आठ सालों से मैं ये सोच रहा हूँ 'स्वर्णिम'
सोचता क्या है कोई ख़ुदकुशी करने वाला

- Swarnim Aditya
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