वही अंदेशा है पैहम कभी पहले वाला
वो मेरा हो के भी मेरा नहीं होने वाला
मैं अज़ल से कहीं भी टिक नहीं पाया हूँ और
इश्क़ में भी मैं मुसलसल नहीं रहने वाला
मेरी आँखों से घुटन भी नहीं जाने वाली
उसकी भी आँखों का काजल नहीं बहने वाला
ज़िंदगी में जो भी होना है वो तो होना ही है
वो नहीं मुझ से मैं उस से नहीं बचने वाला
और कुछ भी नहीं है ज़िंदगी में मेरा वजूद
फूल हूँ मैं तेरी आवाज़ पे खिलने वाला
क्या करूँ ज़िन्दगी की स्क्रिप्ट नहीं जँचती तो
अब मैं क़िरदार कुशी तो नहीं करने वाला
हाँ नहीं लगता हूँ चेहरे से मगर ख़ुश हूँ मैं
वो मगर कुछ नहीं तुमसे नहीं कहने वाला
आठ सालों से मैं ये सोच रहा हूँ 'स्वर्णिम'
सोचता क्या है कोई ख़ुदकुशी करने वाला
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