धुन नई बनाओ देखो दिन खिला है
कोई गीत गाओ देखो दिन खिला है
रात कट चुकी है सुबह हो चली है
अब न याद आओ देखो दिन खिला है
कौन जानता है दिन ही आख़िरी हो
रूठ के न जाओ देखो दिन खिला है
ख़ाक हो चुका हूँ मैं सहर से पहले
ख़ाक को उड़ाओ देखो दिन खिला है
जाने कितनी रातों का जगा हुआ हूँ
ख़ैर तुम सुनाओ देखो दिन खिला है
बादलों में इक चेहरा सा बन रहा है
आओ छत पे आओ देखो दिन खिला है
उसके जैसी ही आवाज़ में मुझे तुम
इक सदा लगाओ देखो दिन खिला है
गो कभी कभी ये सोचता हूँ 'स्वर्णिम'
अब तो बाज़ आओ देखो दिन खिला है
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