शहर में नया नया था वो
हर पते को पूछता था वो
किसकी याद आती थी उसे
किसको भूलने लगा था वो
आप इश्क़ जिसको कहते हैं
इक अजीब हादसा था वो
आख़िरी था इश्क़ आपका
मेरा पहला तजरबा था वो
रातें जाग कर के दिन में फिर
किस से छुप के मिल रहा था वो
सोचता हूँ ऐसा क्या हुआ
आँखें क्यूँ छुपा रहा था वो
एक लड़का मुझ में ही कहीं
तुमको ख़ूब चाहता था वो
मेरे साथ चलने के लिए
मुझसे आगे चल रहा था वो
उसको हद का जब पता लगा
हद से आगे जा चुका था वो
तुमने आज ज़िंदा कर दिया
वरना कब का मर चुका था वो
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