" बचपन की बारिश " - Sahil Verma

" बचपन की बारिश "

बारिश का बहाना है,
लाइट का आना-जाना है

लाइट गई लाइट गई,
बच्चों का चिल्लाना है

दादा के कुछ क़िस्से हैं,
दादी का कोई फ़साना है

सब लोग भूखे हैं अभी,
माँ को खाना बनाना है

गली में पानी भर चुका है,
काग़ज़ की नाव चलाना है

माँ मैं देर से नहाऊँगा,
मुझे बारिश में नहाना है

ये तो बचपन की बारिश है,
अब मोबाइल का ज़माना है

- Sahil Verma
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