ना-उमीदी मोजिज़े के भेस में आऊँगा मैं
ज़िंदगी में तजरबे के भेस में आऊंगा मैं
तुम को अपने प्यार का संदेश देने के लिए
गाँव तेरे डाकिये के भेस में आऊँगा मैं
लेना ही होगा तुम्हें अपनी ज़बाँ से मेरा नाम
जब ग़ज़ल में क़ाफ़िए के भेस में आऊँगा मैं
तुम को ये दिखलाने तुम सब से हसीं हो दुनिया में
तुम से मिलने आइने के भेस में आऊँगा मैं
कर नहीं पाए कभी जो ख़ुदकुशी उन के लिए
मौत बन के हादसे के भेस में आऊँगा मै
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