हम ऐसे इश्क़ के मारों को तन्हा मार देती है
मोहब्बत जान की प्यासी है बंदा मार देती है
अलग अंदाज़ हैं दोनों के अपनी बात कहने के
मैं उसपे शेर कहता हूं, वो ताना मार देती है
हम उसके दिल में रहते हैं सो अच्छे हैं वगरना दोस्त
अदाओं से तो आशिक़ को वो ज़िंदा मार देती है
किसी रस्सी, किसी पंखे पे ये इल्ज़ाम आया पर
कोई ख़ुद से नहीं मरता ये दुनिया मार देती है
हम ऐसे लोग ग़लती से कभी जो ख़्वाब देखें तो
ग़रीबी ख़्वाब के मुंह पे तमाचा मार देती है
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