कौन फिर मेरी तरह, मेरे सिवा, पागल हुआ
मुझको समझाते हुए इक नासेहा पागल हुआ
वो भी अपने दोस्तों से हँस के बतलाती है ये
एक लड़का मेरी ख़ातिर, दो दफ़ा पागल हुआ
हम वफ़ादारों के हिस्से ये नसीबी आई है
क्या कभी तुमने सुना है, बेवफ़ा पागल हुआ
या ख़ुदा ने सब बनाया, या तो दुनिया ने ख़ुदा
या दहर पागल हुई, या तो ख़ुदा पागल हुआ
आशिक़ों की आज कल होती हैं ऐसे गिनतियाँ
दूसरा पागल हुआ, ये तीसरा पागल हुआ
बीच दरिया नाव रोकी और ये कहने लगा
बस यहीं तक साथ था, ये नाख़ुदा पागल हुआ
मेरे कमरे रह गया, तेरा बाल इक टूटा हुआ
दश्त से बिछड़ा अकेला, अज़दहा पागल हुआ
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