तस्वीर उसकी ज़ेहन में काइन सी है - "Dharam" Barot

तस्वीर उसकी ज़ेहन में काइन सी है
वो आज सालों बाद भी कमसिन सी है

उसको भुला सकता हूँ धीरे धीरे से
मुश्किल नहीं ये बात नामुमकिन सी है

होगा सवेरा दोपहर फिर शाम भी
यानी हमारी ज़िंदगी इक दिन सी है

रिश्तों की गहराई रुकी इस बात पर
जो काम आए वो मेरी साथिन सी है

पीकर नशे में चूर हो जाने के बाद
ख़ाली हुई बॉटल भी लगती जिन सी है

मेरे मुताबिक़ कुछ नहीं होता यहाँ
भगवान की दी ज़िंदगी जामिन सी है

- "Dharam" Barot
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