दिल ये जिस पर आए उसकी ख़ैर हो
जिस को भी ये भाए उसकी ख़ैर हो
सर से पा ख़ाकस्तरे-ख़ामोश हैं
जो हमें अपनाए उसकी ख़ैर हो
वो रहे हर हाल में खुश, ग़म से दूर
वो जहाँ भी जाए उसकी ख़ैर हो
ज़िंदगी इक मौत है मुझ को सो है
मौत जन्नत हाए उसकी ख़ैर हो
मैं किसी को समझूँ ना समझूँ मगर
मुझ को जो समझाए उसकी ख़ैर हो
दौर ए हाज़िर में हमें जो इश्क़ के
फ़ायदे गिनवाए उसकी ख़ैर हो
आग भर कर निकले हैं हम सीने में
हम से जो टकराए उसकी ख़ैर हो
इश्क़ है कह कर किसी को इश्क़ में
दिल को जो तड़पाए उसकी ख़ैर हो
जा चुका है ज़िंदगी से मेरी दूर
जो बिना बतलाए उसकी ख़ैर हो
मेरे पीछे मेरी ग़ज़लों नज़्मों को
जो पढ़े जो गाए उसकी ख़ैर हो
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